हर घड़ी हर पहर खुद को ढूंढता हूंँ मैं हर अक्श में हर पहर में खुद से पूछता हूंँ मैं। हर घड़ी हर पहर खुद को ढूंढता हूंँ मैं हर अक्श में हर पहर में खुद से पूछता हूं...
खुश नही हूं... खुश नही हूं...
हे जननी जन्मभूमी माँ शत्-शत् नमन करता हूँ... हे जननी जन्मभूमी माँ शत्-शत् नमन करता हूँ...
संघी या मय या घृणा से संघी या मय या घृणा से
मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं। मै सरकारी ऑफिस हूं, अब मै लबालब भर गया हूं।
जो भी हुआ कोई खेद नहीं, बस इतना है संताप मुझे। जो भी हुआ कोई खेद नहीं, बस इतना है संताप मुझे।